khoob ladi mardani जैसी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा को अपने शब्दों में पिरोने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1004 को हुआ था। सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि khoob ladi mardani poem(खूब लड़ी मर्दानी ) झाँसी की रानी कविता के कारण है। ये राष्ट्रीय चेतना की मसहूर कवयित्री रही हैं, वे स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल गईं और कई यातनाएँ सही। इनकी रचना में सादगी की अनुभूति होती है। Subhadra Kumari Chauhan की मृत्यु में 15 फ़रवरी 1948 (उम्र 43) में हुई ।
आज Hindi Hain Hum आप सभी के लिए लाया है rani laxmi bai poem, khub ladi mardani lyrics, khoob ladi mardani jhansi ki rani और poems on rani lakshmi bai का पूरा संग्रह जिसे हम और आप बचपन में खूब पढ़ा करते थे और आज भी हमें khoob ladi mardani woh to jhansi wali rani thi कविता उतनी ही पसंद है।
khoob ladi mardani Poem in hindi
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार।
महाराष्टर-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।
निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
अश्रुपूर्णा रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी रोयीं रिनवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
‘नागपूर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार’।
यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।
हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपूर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपूर, कोल्हापूर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वन्द्ध असमानों में।
ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये अवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
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khub ladi mardani poem | Deshbhakti kavita
sinhaasan hil uthe raajavanshon ne bhrkutee taanee thee,
boodhe bhaarat mein aaee phir se nayee javaanee thee,
gumee huee aazaadee kee keemat sabane pahachaanee thee,
door phirangee ko karane kee sabane man mein thaanee thee.
chamak uthee san sattaavan mein, vah talavaar puraanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
kaanapoor ke naana kee, munhabolee bahan chhabeelee thee,
lakshmeebaee naam, pita kee vah santaan akelee thee,
naana ke sang padhatee thee vah, naana ke sang khelee thee,
barachhee dhaal, krpaan, kataaree usakee yahee sahelee thee.
veer shivaajee kee gaathaayen usakee yaad zabaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
lakshmee thee ya durga thee vah svayan veerata kee avataar,
dekh maraathe pulakit hote usakee talavaaron ke vaar,
nakalee yuddh-vyooh kee rachana aur khelana khoob shikaar,
sainy gherana, durg todana ye the usake priy khilavaar.
mahaaraashtar-kul-devee usakee bhee aaraadhy bhavaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
huee veerata kee vaibhav ke saath sagaee jhaansee mein,
byaah hua raanee ban aaee lakshmeebaee jhaansee mein,
raajamahal mein bajee badhaee khushiyaan chhaee jhaansee mein,
chitra ne arjun ko paaya, shiv se milee bhavaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
udit hua saubhaagy, mudit mahalon mein ujiyaalee chhaee,
kintu kaalagati chupake-chupake kaalee ghata gher laee,
teer chalaane vaale kar mein use choodiyaan kab bhaee,
raanee vidhava huee, haay! vidhi ko bhee nahin daya aaee.
nisantaan mare raajaajee raanee shok-samaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
bujha deep jhaansee ka tab dalahauzee man mein harashaaya,
raajy hadap karane ka usane yah achchha avasar paaya,
fauran phaujen bhej durg par apana jhanda phaharaaya,
laavaaris ka vaaris banakar british raajy jhaansee aaya.
ashrupoorna raanee ne dekha jhaansee huee biraanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
anunay vinay nahin sunatee hai, vikat shaasakon kee maaya,
vyaapaaree ban daya chaahata tha jab yah bhaarat aaya,
dalahauzee ne pair pasaare, ab to palat gaee kaaya,
raajaon navvaabon ko bhee usane pairon thukaraaya.
raanee daasee banee, banee yah daasee ab maharaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
chhinee raajadhaanee dillee kee, lakhanoo chheena baaton-baat,
kaid peshava tha bithur mein, hua naagapur ka bhee ghaat,
udaipur, tanjaur, sataara, karanaatak kee kaun bisaat?
jabaki sindh, panjaab brahm par abhee hua tha vajr-nipaat.
bangaale, madraas aadi kee bhee to vahee kahaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
raanee royeen rinavaason mein, begam gam se theen bezaar,
unake gahane kapade bikate the kalakatte ke baazaar,
sare aam neelaam chhaapate the angrezon ke akhabaar,
naagapoor ke zevar le lo lakhanoo ke lo naulakh haar.
yon parade kee izzat paradeshee ke haath bikaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
kutiyon mein bhee visham vedana, mahalon mein aahat apamaan,
veer sainikon ke man mein tha apane purakhon ka abhimaan,
naana dhundhoopant peshava juta raha tha sab saamaan,
bahin chhabeelee ne ran-chandee ka kar diya prakat aahavaan.
hua yagy praarambh unhen to soee jyoti jagaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
mahalon ne dee aag, jhompadee ne jvaala sulagaee thee,
yah svatantrata kee chinagaaree antaratam se aaee thee,
jhaansee chetee, dillee chetee, lakhanoo lapaten chhaee thee,
merath, kaanapoor, patana ne bhaaree dhoom machaee thee,
jabalapoor, kolhaapoor mein bhee kuchh halachal ukasaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
is svatantrata mahaayagy mein kaee veeravar aae kaam,
naana dhundhoopant, taantiya, chatur azeemulla saranaam,
ahamadashaah maulavee, thaakur kunvarasinh sainik abhiraam,
bhaarat ke itihaas gagan mein amar rahenge jinake naam.
lekin aaj jurm kahalaatee unakee jo kurabaanee thee,
bundele harabolon ke munh hamane sunee kahaanee thee,
khoob ladee mardaanee vah to jhaansee vaalee raanee thee..
inakee gaatha chhod, chale ham jhaansee ke maidaanon mein,
jahaan khadee hai lakshmeebaee mard banee mardaanon mein,
lephtinent vaakar aa pahuncha, aage bada javaanon mein,
raanee ne talavaar kheench lee, huya dvanddh asamaanon mein.
zakhmee hokar vaakar bhaaga, use ajab hairaanee thee,
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ghoda thak kar gira bhoomi par gaya svarg tatkaal sidhaar,
yamuna tat par angrezon ne phir khaee raanee se haar,
vijayee raanee aage chal dee, kiya gvaaliyar par adhikaar.
angrezon ke mitr sindhiya ne chhodee rajadhaanee thee,
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vijay milee, par angrezon kee phir sena ghir aaee thee,
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kaana aur mandara sakhiyaan raanee ke sang aaee thee,
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Deshbhakti geet | खूब लड़ी मर्दानी
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