Bihar Chunav Par Shayari: यह बिहार चुनाव पर शायरी संग्रह राजनीति, जनता की उम्मीदों और बदलाव की पुकार को व्यंग्य और भावनाओं के संग बुनता है। इन शायरियों में नेताओं के वादों, जनता के दर्द और बिहार की आत्मा की सच्ची झलक मिलती है — सोचने और मुस्कुराने दोनों पर मजबूर करती हैं।
बिहार चुनाव पर शायरी
हम आपके लिए लाये ही बिहार के चुनाव के ऊपर टॉप १० शायरी तो शेयर करिये अपने दोस्तों के साथ और लोकतंत्र के इस पर्व का आनंद लीजिये।
बिहार की धरती पूछे हर बार,
कब बदलेगा नेता का व्यवहार?
वादों की बौछार बहुत हो गई,
अब चाहिए काम, न कि प्रचार!

गाँवों में अब भी अंधेरा है,
शहरों में बस बस का बसेरा है,
जो वादा किया था “रोशनी” का,
वो अब भी चुनावी फेरा है!

नेता बोले — “मैं जनता का हूँ यार!”
जनता हँसी — “हर बार यही त्यौहार!”
बिहार की मिट्टी जानती है सच,
हर बार वही वादा, वही प्रचार!

सत्ता की कुर्सी पर जो बैठे हैं,
वो भी जनता के बेटे हैं,
पर भूल गए हैं वो ये बात,
माँ-बाप से भी कर्ज़ चुकाते हैं!

मतदान से मतदाताओं तक सफ़र है,
पर भरोसा अब भी अधूरा सफ़र है,
कागज़ों पर बहुत विकास हुआ,
ज़मीन पर अब भी वही बंजर है!
बिहार का दिल बड़ा है जनाब,
हर झूठ को भी देता जवाब,
जो काम करे वही टिके यहाँ,
बाकी सब बस नाम के नवाब!
नेता बदले, पर हाल वही,
वादा बदला, पर चाल वही,
बिहार अब चाहता है काम,
न कि पोस्टर, न सवाल वही!
हर रैली में नारा गूंजता है,
“बदलाव” का सपना झरता है,
पर बदलाव तभी आएगा,
जब वोट सोच-समझकर पड़ता है!
जात, धर्म के नाम पर बाँट रहे हैं,
सपनों को फिर से काट रहे हैं,
बिहार अब जागेगा इस बार,
जनता ही अब गणना बाँट रहे हैं!
बिहार बोले — अब खेल नहीं, काम हो,
वादा नहीं, अब अंजाम हो,
नेता चाहे जो भी आए,
अब जनता ही असली इम्तिहान हो!
