जन्म: 11 जून, 1897, स्थान: शाहजहाँपुर
मृत्यु: 19 दिसंबर, 1927, गोरखपुर
जब भी हिंदुस्तान के इतिहास में महान क्रांतिकारियों की बात होगी तब-तब भारत मां के इस वीर सपूत राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का जिक्र होगा। ram prasad bismil एक महान क्रन्तिकारी के अलावां एक मझे हुए कवि, शायर, अनुवादक व साहित्यकार थे। इन्होने भारत की आज़ादी के लिये मात्र 30 साल की उम्र में अपने प्राणों की आहुति दे दी। ram prasad bismil poetry in hindi सीधे देशभक्तों के दिल में उतर जातीं थीं।
इसी लिए hindi hain hum आपके लिए लेकर आया है ram prasad bismil की कुछ बेहतरीन रचनाये, Desh bhakti shayari जो आपके दिलों को छु लेगी और ram prasad bismil poems को आप हमेशा याद रखेंगें।
ram prasad bismil poetry in hindi
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है…
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाजू-ए-क़ातिल में है।
रहबरे राहे मुहब्बत, रह न जाना राह में,
लज़्ज़ते सहरा नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है।
वक़्त आने दे, बता देंगे तुझे, ऐ आसमां!
हम अभी-से क्या बताएं, क्या हमारे दिल में है।
अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़,
एक मिट जाने की हसरत अब दिले ‘बिस्मिल’ में है।
आज मक़तल में ये क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है!
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत, तेरे जज़्बों के निसार,
तेरी कुर्बानी का चर्चा गै़र की महफ़िल में है।
sarfaroshi ki tamanna ab hamare dil mein hai…
sarfaroshi ki tamanna ab hamare dil mein hai,
dekhana hai zor kitana baajoo-e-qaatil mein hai.
rahabare raahe muhabbat, rah na jaana raah mein,
lazzate sahara navardi doori-e-manzil mein hai.
vaqt aane de, bata denge tujhe, ai aasamaan!
ham abhi-se kya bataen, kya hamaare dil mein hai.
ab na agale valavale hain aur na aramaanon ki bhid,
ek mit jaane ki hasarat ab dile ‘bismil’ mein hai.
aaj maqatal mein ye qaatil kah raha hai baar-baar,
kya tamanna-e-shahaadat bhi kisi ke dil mein hai!
ai shahide-mulko-millat, tere jazbon ke nisaar,
teri kurbaani ka charcha gaira ki mahafil mein hai.
ram prasad bismil poems
मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या…
मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या,
दिल की बर्वादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या !
मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़याल ,
उस घड़ी गर नामावर लेकर पयाम आया तो क्या !
ऐ दिले-नादान मिट जा तू भी कू-ए-यार में ,
फिर मेरी नाकामियों के बाद काम आया तो क्या !
काश! अपनी जिंदगी में हम वो मंजर देखते ,
यूँ सरे-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या !
आख़िरी शब दीद के काबिल थी ‘बिस्मिल’ की तड़प ,
सुब्ह-दम कोई अगर बाला-ए-बाम आया तो क्या !
mit gaya jab mitane vaala phir salaam aaya to kya…
mit gaya jab mitane vaala phir salaam aaya to kya !
dil ki barvaadi ke baad unaka payaam aaya to kya !
mit gain jab sab ummiden mit gae jab sab khayaal ,
us ghadi gar naamaavar lekar payaam aaya to kya !
ai dile-naadaan mit ja too bhi koo-e-yaar mein ,
phir meri naakaamiyon ke baad kaam aaya to kya !
kaash! apani jindagi mein ham vo manjar dekhate ,
yoon sare-turbat koi mahashar-khiraam aaya to kya !
aakhiri shab did ke kaabil thi bismil ki tadap ,
subh-dam koi agar baala-e-baam aaya to kya !
Desh bhakti shayari | ram prasad bismil poetry in hindi
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