Gulzar Shayari: गुलज़ार साहब किसी परिचय ये मोहताज नहीं है उन्हें देश का बच्चा बच्चा जनता है और उनके गीतों और नज़मों को गाता और गुनगुनाता है और गुलज़ार की शायरी(gulzar ki shayari) को अपने दिल में बसाता है। gulzar shayari in hindi लोगो में काफी पसंद की जाती है।
ग़ुलज़ार साहब का जन्म 18 अगस्त सन 1934 को भारत के झेलम जिला पंजाब के दीना गाँव में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। गुलज़ार साहब का असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है यही बाद में चलकर Gulzar के नाम से प्रसिद्ध हुए। gulzar poetry in hindi का हर वर्ग के लोगो में खूब क्रेज़ है।
गुलज़ार शाहब फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार के साथ साथ वे एक जबरदस्त शायर, फिल्म लेखक, फ़िल्म निर्देशक, एक नाटककार एवं बहुत ही प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी रचनाएँ हिन्दी, उर्दू और पंजाबी में काफी प्रसिद्ध हैं। इन भाषाओ के अलावां गुलज़ार साहब ब्रज भाषा, खड़ी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी अनेक रचनायएँ कीं हैं।
आज गुलज़ार साहब को समर्पित करते हुए हिंदी हैं हम(Hindi Hain Hum) आप सभी गुलज़ार प्रेमियों के लिए लाया है gulzar shayari in hindi, gulzar ki shayari, gulzar poetry in hindi और gulzar shayari का एक शानदार और दिल को छू लेने वाला एक बेहतरीन गुलज़ार शायरी कलेक्शन जो आपको बेहद पसंद आएगा।
gulzar poetry in hindi
तकलीफ खुद ही कम हो गई,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गई ।
Takleef khud hi kam ho gayi,
jab apno se ummid kam ho gayi.
ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,
तमाम उम्र में दो चार छ गिले भी नहीं।
Ye kaisa rishta hua ishq me wafa ka bhala,
tamaam umr me do char chh jile nhai.
रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,
दिन की चादर अभी उतारी है।
Raat ko chadani to odha do,
din ki chadar abhi utari hain.
जब भी यह दिल उदास उदास होता है,
जाने कौन आस पास होता है,
कोई वादा नही किया लेकिन,
क्यों तेरा इंतजार होता है।
Jab bhi yah dil udaas udaas h๏ta hai,
jaane kaun aas paas hota hai,
koi vada nahin kiya lekin,
kyun tera intezar rahata hai.
छोटा सा साया था आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से मन भर लिया।
Chhota sa saya tha ankhon me aaya tha.
hamane do bundo se man bhar liya.
गुलज़ार पोएट्री इन हिंदी
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।
Jyaada kuchh nahi badalata umr ke sath,
bas bachapan ki zidd samjhauto me badal jati hain.
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
Bachapan me bhari dupahari me naap aate the pura mohalla,
jab se degreeyan damajh me aayi panv jalane lage.
तुम शोर करते हो,
सुर्खियों में आने के लिए,
हमारी तो खामोशियां अखबार बनी हुई है।
Tum shor karte ho,
surkhiyon mein aane ke liye,
hamari to khamoshi akhbar bani hui hai.
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
Zindagi yun hi basar tanha,
kafila sath aur safar tanha.
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।
Aap ke baad har ghadi ham ne,
aap ke sath hi guzari hain.
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
Hamane aksar tumhari rahon me,
Hruk kar apana hi intzaar kiya.
gulzar shayari
इतना क्यों सिखाए जा रहे हो जिंदगी,
हमें कौन सी सदियां गुजारनी है यहां।
Itna kyu sikhaye ja rahi ho zindagi,
hamen kaun si sadiyan gujarni hai yahan.
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
Milana to bahut kuchh hain is zindagi me,
bas ham ginati usi ki karate hain, jo hasil na ho saka.
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी, चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
Tere jane se to kuchh badala nahi,
raat bhi aayi chand bhi tha, magar neend nahi.
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।
Din kuchh ese guzarata hain koi,
jaise ehasaaan utarata hain koi.
लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है,
चलिए छोड़िए कौनसाक्या पहली दफा है।
Lagta hai aaj zindagi kuch khafa hai,
chaliye chhodiye kaun sa pehli dafa hai.
गुलज़ार शायरी
शायर बनना तो बहुत आसान हैं बस,
एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
Shayar bananaa bahuta aasaan hain bas,
ek adhuri mohabbat ki mukammal degree chahiye.
कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।
Kaun kahata hain ki ham jhuth nahi bolate,
ek baar kairiyat to puchh ke dekhiye.
किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।
Kisi par mar jane se hoti hain mohabbat,
ishq zinda logon ke bas ka nahi.
देर से गूँजतें हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
Der tak gunjate hain sannate,
jaise ham ko pukarata hain koi.
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।
Hawa guzar gayi patte the kuchh hile bhi nahi,
wo mere shahar me aaye bhi aur mile bhi nahi.
gulzar poetry
जिन्हें वाकई बात करना आता है,
वो लोग अक्सर खामोश रहते है।
Jinhen waqai baat karna aata hai,
wo log aksar khamosh rehte hain.
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
Kabhi to cauk ke dekhe koi hamari taraf,
kisi ki ankhon me hamako bhi ko intzaar dikhe.
दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं हैं।
Dil agar hain to dard bhi hoga,
isaka shayad koi hal nahi hoga.
शोर की तो एक उम्र होती हैं,
ख़ामोशी सदाबहार होती हैं।
Shor ki to ek umr hoti hain,
khamoshi sadabhahaar hoti hain.
बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये।
Behisaab hasarate na paliye,
jo mila hain use sambhaliye.
गुलज़ार पोएट्री
तोड़कर जोड़ लो चाहे हर चीज दुनिया की,
सब कुछ काबिले मरम्मत है एतबार के सिवा ।
Tod kar jod lo chahe har cheez duniya ki,
sab kuchh kabile marammat hai aitbaar ke siwa.
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है…।
Koi khamosh zakhm lagati hai,
zindagi ek nazm lagati hain.
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।
Jsi ki ankhon me kati thi sadiyan,
us ne sadiyaon ki judayi de di.
मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।
Main chup hun har shab umadati barish ko,
magar ye roz gayi baat chhed deti hain.
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
Khushbu jaise log mile afsaane me,
ek purana khat mila anjaane me.
gulzar sahab shayari
फासला बढ़ा लिया तुमने,
मैंने दीवार पक्की कर ली,
जरा सी गलतफहमी ने देखो,
कितनी तरक्की कर ली ।
Fasla bada liya tumne,
main deewar pakki kar li,
zara si galatfahmi ne dekho,
kitni tarkki karli.
हम तो अब याद भी नहीं करते,
आप को हिचकी लग गई कैसे।
Ham to ab yaad bhi nahi karate,
aap ko hichakiyan lag kaise lagi.
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
Kabhi zindagi ek pal me guzar jati hain,
aur kabhi zindagi ka ek pal nahi guzarata.
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
Koi puchh raha hain mujhse meri zindagi ki kimat,
mujhe yaad aa raha hain tera halke se muskurana.
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।
Bahut andar tak jala deti hain,
wo shikayate jo bayan nahi hoti.
गुलजार साहब की मशहूर शायरी
बहुत छाले है उसके पैरों में ,
कमबख्त उसूलों पर चला होगा।
Bahut chhale hain uske pairon mein,
kambakht usoolon per chala hoga.
मैंने दबी आवाज़ में पूछा…
मुहब्बत करने लगी हो,
नज़रें झुका कर वो बोली…
बहुत।
Maine dabi aawaz me puchh…
mohabbat karane lagi ho,
nazare jhuka kar wo boli…
bahut.
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।
Kuch alag karana ho to bheed se hat kar chaliye,
Bheed sahas deti hain magar pahachaan chhin leti hain.
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।
Fir wahi laut ke jana hoga,
yaar ne kaisi rihayi di hain.
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
Royi hain kisi chhat pe, akeli hi me ghutkat,
utari jo labon par to wo namkin thi barish.
बिगड़ैल हैं ये यादे,
देर रात को टहलने निकलती हैं।
Bigadail hain ye yaade,
der raat tak tahalane nikalati hain.
gulzar shayari in hindi
गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे,
आजादी ने हमें ️हिंदू मुसलमान बना दिया।
Ghulam the to ham sab hindustani the,
azadi ne hume hindu musalman banaa diya.
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी,
और ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
Usane kagaz ki kayi kashtiyan pani utari,
aur ye kah kar baha di ki samundar me milenge.
सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
Suna hain kafi padh likh gaye hoo tum,
kabhi wo bhi padhon jo ham kah nahi pate hain.
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
Tanhaayi ki deewaaron par ghutan ka parda jhul raha hain,
bebasi ki chhat ke neeche, koi kisi ko bhula raha hain..
थोडा सा हँसा के थोडा सा रुला के,
पल ये भी जाने वाला हैं…।
Thoda sa hansa ke thoda sa rula ke,
pal ye bhi jane wala hain.
गुलज़ार शायरी इन हिंदी
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी,
ऐसा तो कम ही होता है वह भी हो तन्हाई भी ।
Ek purana mausam lauta yad bhari purvi bhi,
aisa to kam hi hota hai wo bhi ho tanhai bhi.
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
Aayina dekh kar tasalli huyi,
hamko is ghar me janata hain koi..
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं।
Main har raat ki khwahishon ko khud se pahale sula deta hun,
magar roz subah ye mujhase pahalae jaag jati hain.
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
Ek hi khwaab ne sari raat jagaya hain.
main ne har karwat sone ki koshish ki.
सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूं जी भरा भरा सा रहता है।
Sahama-sahama dara sa rahata hain,
jane kyun jee bhara bhara sa rahata hain.
gulzar ki shayari
मैं दिया हूँ…
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।
Main diya hoon…
meri dushamani to sirf andhere se hain,
hawa to bewajah hi mere khilaf hain.
वह चीज जिसे दिल कहते है,
हम भूल गए है रखकर कहीं ।
Woh cheez jise dil kahate hain,
ham bhul gaye hain rakh kar kahin.
एक बार तो यूँ होगा कि थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी और ना सर पे जूनून होगा।
Ek baar to yoon hoga ki thoda sa sukoon hoga,
na dil mein kasak hogee aur na sar pe joonoon hoga.
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
Hath chhute bhi to rishte nahi chhoda karate,
waqt ki shakh se lamhe nahi toda karate.
तुझसे कोई शिकवा शिकायत नही है,
जिंदगी तूने जो भी दिया है वही बहुत है।
Tujh se koi shikva shikayat nahin aye zindagi,
tune jo bhi diya hai vahi bahut hai.
गुलज़ार की शायरी
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने एतबार किया।
Aadatantum ne kar diye wade,
aadatan ham ne etabaar kiya.
वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए।
Wo jo surat per sabki haste hain,
unko tohfe main ek aaina dijiye.
कुछ शिकायत बनी रहे तो बेहतर है,
चाशनी में डूबे रिश्ते वफादार नही होते।
Kuch shikayte bani rahe to behtar hai,
chashni mein doobe rishte wafadar nahin hote.
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।
Palak se pani gira hain to use girane do,
koi purani tamanna pighal rahi hogi.
ऐ हवा उनको करदे खबर मेरी मौत कीऔर कहना,
कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश,
उनके आँचल का इंतज़ार करती है।
Ye hawa unako karde khabar meri maut ki aur kahana,
kafan ki khwahish me meri lash,
unake anchal ka intzaar karati hain.
gulzar shayari on love
अच्छी किताबें और अच्छे लोग,
तुरंत समझ में नहीं आते,
उन्हें पढना पड़ता हैं।
Achchi kitabe aur achche log,
turnt samajh me nahi aate,
unhe padhana hota hain.
कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं तुम शर्ते बदल देते हो।
Kaise kare khud ko tere pyaar ke kabil,
jab ham badalate hain tum sharten badal dete ho.
तकलीफ़ ख़ुद ही कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
Taklif khud hi kam ho gayi,
jab apano se ummid kam ho gayi.
उधड़ी सी किसी फ़िल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो ग़मगीन थी बारिश!
कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश।।
Udhadi si kisi film ka ek seen thi barish,
is baar mili mujhko to ghamgin thi barish!
kuchh logo ne rang lut liye shahar me is ke,
jangal se jo nikali thi wo rangin thi barish.
कहूं क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है,
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।
Kahnu kya wo badi masumiyat se puchh baithe hain,
kya sachmuch dil ke maaro ko badi taklif hoti hain.
गुलज़ार शायरी ऑन लव
चुप हो तो पत्थर ना समझना मुझे,
दिल पर असर हुआ है किसी अपने की बात का।
Chup hun to pathar na samajhna mujhe,
dil par asar hua hai kisi apne ki baat ka.
सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
उसी का तो ये सारा किस्सा हैं।
Seene me dhadakata jo hissa hain,
usi ka to ye saraa kissa hain.
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया।
Ham to samjhe the ki ham bhul gaye unako,
kya hua aaj ye kis baat pe rona aaya.
कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे…।
Kuchh baate tab tak samajh me nahi aati,
jab tak khud par naa guzare.
ग़म मौत का नहीं है, ग़म ये के…
आखिरी वक़्त भी तू मेरे घर नहीं है।
Gham maut ka nahi hain, gham ye ke…
akhiri waqt bhi tu mere ghar nahi hain.
selected poems gulzar
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
Waqt rahata nahi kahi tik ke,
aadat is ki adami si hain.
लकीरें हैं तो रहने दो,
किसी ने शायद रूठ कर गुस्से में खींच दी थी,
उन्ही को अब बनाओ पाला,
और आओ कबड्डी खेलते हैं।
Lakire hain to rarane do,
kisi ne shayad ruth kar gusse me kheech di thi,
unhi ko ab banao palaa,
aur aao kabaddi khelate hain.
कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते,
आवाज अगर तुम ना दो तो बोलते वह भी नही।
Kuch aise ho gaye hain is daur ke rishte,
awaaz agar tum na do to bolate wo bhi nahin.
बीच आसमाँ में था बात करते करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।
Beech aasamaan me tha baat karate karate hi,
chand is tarah bujha jaise funk se diya,
dekho tum itani lambi sanse mat liya karo.
सामने आए मेरे देखा मुझे बात भी की,
मुस्कुराए भी पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था बस देख लिया रख भी दिया।
Samane aaye mere dekha mujhe baat ki,
muskuraye bhi purani kisi pahchan ki khatir,
kal ka akhabaar tha bas dekh liya rakh bhi diya.
बेस्ट गुलज़ार शायरी
मैं तेरे इश्क़ की छाँव में जलकर,
काला न पड़ जाऊं कहीं…
तू मुझे हुस्न की धूप का एक टुकड़ा दे।
Main tere ishq ki chhanv me jal-jalkar,
kala na pad jau kahi…
tu mujhe husn ki dhoop ka ek tukada de.
अपने साए से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा।
Apane saye se chauk jate hain,
umr guzari hain is kadar tanha.
तेरी तरह बेवफा निकले मेरे घर के आईने भी,
खुद को देखूं तेरी तस्वीर नजर आती है।
Teri tarah bewafa nikale mere ghar ke aaine bhi,
khud ko dekhu teri tasveer nazar aati hai.
किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे!
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे!
आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।
Kisane raste me cahnd rakha tha,
mujhako thokar lagi kaise!
waqt pe panv kab rakha hamane,
zindagi muh ke bal geeri kaise!
ankh to bhar aayi thi pani se,
teri tasveer jal gayi kaise.
महदूद हैं दुआएँ मेरे अख्तियार में,
हर साँस हो सुकून की तू सौ बरस जिये।
Mahadud hai duwayen mere akhtiyar me,
har sans ho sukun ki tu sau baras jeeye.
gulzar poetry on love
कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं,
ये ताउम्र साथ चलते हैं…
जिस्मो के ख़ाक होने तक।
Kuchh to zakhmo ki umr nahi hoti hain,
ye taumr sath chalate hain…
zismon ke khak hone tak.
तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे!
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे।
Teri yaadon ke jo akhiri the nishan,
dil tadapata raha, ham mitate rahe!
khat likhe the jo tumane kabhi pyaar me,
usako padhate rahe aur jalate rahe.
सच को तमीज ही नही बात करने की,
झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है।
Sach ko tameez hi nahin baat karne ki,
jhoot ko dekho kitna meetha bolata hai.
सुनो जब कभी देख लुं तुमको तो…
मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है।
Suno jab kabhi dekh lu tumako to…
mujhe mahsus hota hain ki duniya khubsurat hain.
एक सपने के टूटकर चकना चूर हो जाने के बाद,
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं।
Ek sapane ke tutkar chakna chur ho jaane ke baad,
dusara sapana dekhane ke hausale ka naam zindagi hain.
प्यार पर गुलज़ार साहब की शायरी
टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,
में फिर से निखर जाना चाहता हूँ!
मानता हूँ मुश्किल हैं,
लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।
Tut jana chahata hun, bikhar jana chahata hun,
main fir se nikhar jana chahata hun!
manata hun mushkil hain,
lekin main gulzaar hona chahata hun.
मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी!
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।
Maine maut ko dekha to nahi?
par shayad wo khubsurat hogi!
kambakht jo bhi usase milata hain,
jeena chhod deta hain.
कैसे गुजर रही है सब पूछते है,
कैसे गुजारता हूं कोई नही पूछता ।
Kaise gujar rahi hai sab puchte hain,
kaise gujarta hu koi nahin puchta.
घर में अपनों से उतना ही रूठो कि…
आपकी बात और दूसरों की इज्जत दोनों बरक़रार रह सके।
Ghar me apano se utana hi rutho ki…
aapki baat aur dusaro ki izzat dono barkaraar rahe.
मेरे दिल में एक धड़कन तेरी हैं,
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है!
मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी हैं,
जो कभी सांस जो रुक जाए तो मौत मेरी हैं।
Mere dil me ek dhadakan hain teri hain,
us dhadakan ki kasam tu zindagi meri hain!
meri to har sans me ek sans teri hain,
jo kabhi sans jo ruk jaye to maut meri hain.
gulzar shayari love in hindi
दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।
Dard halka hain sans bhari hain,
jiye jane ki rasm jari hain.
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ऐतबार किया!
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया!
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हम ने एक बार किया।
Aadatan tum ne kar diye wade,
aadatan hamne etbaar kiya!
teri rahao me barha ruk kar,
ham ne apana hi intzaar kiya!
ab naa mangenge zindagi ya rab,
ye gunah ham ne ek baar kiya.
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं,
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं।
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं,
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।
Naa dur rahane se rishte tut jate hain,
naa paas rahane se jud jate hain!
yah to ehasaas ke pakke dhage hain,
jo yaad karane se aur majbut ho jate hain.
एक सो सोलह चाँद की रातें ,
एक तुम्हारे कंधे का तिल,
गीली मेहँदी की खुशबू ,
झूठ मूठ के वादे,
सब याद करा दो सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।
Ek so solah chand ki raaten,
ek tumhare kandhe ka til,
gili maihandi ki khushbu,
jhuth muth ke wade,
sab yaad karado sab sab bhujwa do,
mera wo saamaan lauta do.
हिंदी में गुलज़ार शायरी
इस दिल का कहा मनो एक काम कर दो,
एक बे-नाम सी मोहब्बत मेरे नाम करदो!
मेरी ज़ात पर फ़क़त इतना अहसान कर दो,
किसी दिन सुबह को मिलो, और शाम कर दो।
Is dil ka kaha maano ek kaam kar do,
ek be-naam si mohabbat mere naam kar do!
meri jaat par fakat itana ahasaan kar do,
kisi din subah ko milo, aur sham kar do.
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है।
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने,
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं।
Mere dard ko bhi aah ka haq hai,
jaise tere husn ko nigah ka haq hai!
mujhe bhii ek dil diya hain bhagwaan ne,
mujh nadaan ko bhi ek gunaah ka haq hain.
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।
Kal ka vakiaa tumhaara tha,
aaj ki dastan hamari hain.
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है।
Dil ke rishte hamesha kismat se hi bante hain,
varna mulaqaat to roz hazaron se hoti hai.
पुरस्कार और सम्मान
Gulzar को वर्ष 2004 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूसण से सम्मानित किया गया यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। गुलज़ार साहब को वर्ष 2002 में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2009 फ़िल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो(Jay Ho) के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ऑस्कर पुरस्कारदिया गया। उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है।
सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार: 1977, 1979, 1980, 1983, 1988, 1991, 1998, 2002, 2004
साहित्य अकादमी पुरस्कार: 2002
पद्मभूषण: 2004
सर्वश्रेष्ठ मौलिक गीत का ऑस्कर: 2009 ‘जय हो’ के लिए
ग्रैमी पुरस्कार: 2010
दादा साहब फाल्के पुरस्कार: 2013
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